प्रबंध के सिद्धांत
प्रबंध के सिद्धांत की अवधारणा
सिद्धांत एक आधारभूत सत्य होते हैं जो विचार या कार्य का मार्गदर्शन करते हैं|
जिनका निर्माण अनुभवी प्रबंधकों द्वारा उनके अनुभव ,घटनाओं के अवलोकन ,एवं वास्तविक कार्य व्यवहार के विश्लेषण के आधार पर किए जाते हैं|
सिद्धांत एक आधारभूत सत्य होते हैं जो विचार या कार्य का मार्गदर्शन करते हैं|
जिनका निर्माण अनुभवी प्रबंधकों द्वारा उनके अनुभव ,घटनाओं के अवलोकन ,एवं वास्तविक कार्य व्यवहार के विश्लेषण के आधार पर किए जाते हैं|
प्रबंध के सिद्धांत एवं मूल्य
प्रबंध के सिद्धांत आधारभूत सत्य होते हैं जबकि मूल्य एक व्यक्ति के व्यवहार के सामान्य नियम होते हैं|
जैसे कार्य विभाजन प्रबंध का एक सिद्धांत है जिसमें विशिष्टीकरण के लाभ प्राप्त होते हैं दूसरी और एक प्रबंधक द्वारा कंपनी की गोपनीय बातों को सार्वजनिक ना करना मूल्य हैl
प्रबंध के सिद्धांत आधारभूत सत्य होते हैं जबकि मूल्य एक व्यक्ति के व्यवहार के सामान्य नियम होते हैं|
जैसे कार्य विभाजन प्रबंध का एक सिद्धांत है जिसमें विशिष्टीकरण के लाभ प्राप्त होते हैं दूसरी और एक प्रबंधक द्वारा कंपनी की गोपनीय बातों को सार्वजनिक ना करना मूल्य हैl
प्रबंध के सिद्धांतों की प्रकृति/ विशेषताएं
सर्व प्रयुक्त
प्रबंध के सिद्धांत और सार्वभौमिक होते हैं, क्योंकि इन्हें किसी भी प्रकार के संगठन में प्रयोग किया जा सकता है तथा इनकी मान्यता सभी प्रकार के संगठन में एक समान लगभग होती है |
सामान्य मार्गदर्शन :- यह कार्य करने के लिए दिशानिर्देश होते हैं परंतु यह पूर्व निर्मित समाधान नहीं बताते हैं क्योंकि वास्तविक व्यवसायिक स्थितियां जटिल एवं गत्यात्मक होती है इस कारण प्रबंधकीय सिद्धांतों में स्थितियों के अनुसार परिवर्तन किया जा सकता है|
प्रबंध के सिद्धांत और सार्वभौमिक होते हैं, क्योंकि इन्हें किसी भी प्रकार के संगठन में प्रयोग किया जा सकता है तथा इनकी मान्यता सभी प्रकार के संगठन में एक समान लगभग होती है |
सामान्य मार्गदर्शन :- यह कार्य करने के लिए दिशानिर्देश होते हैं परंतु यह पूर्व निर्मित समाधान नहीं बताते हैं क्योंकि वास्तविक व्यवसायिक स्थितियां जटिल एवं गत्यात्मक होती है इस कारण प्रबंधकीय सिद्धांतों में स्थितियों के अनुसार परिवर्तन किया जा सकता है|
अनुभव एवं शोध द्वारा निर्मित
प्रबंध के सिद्धांत प्रबंधकों के अनुभव एवं तथ्यों के अवलोकन के आधार पर विकसित किए जाते हैं|
यह नियम किसी कार्य को बार-बार करने तथा उसके नामों के अवलोकन तथा कार्य व्यवहार के विश्लेषण के आधार पर विकसित किए जाते हैं l
प्रबंध के सिद्धांत प्रबंधकों के अनुभव एवं तथ्यों के अवलोकन के आधार पर विकसित किए जाते हैं|
यह नियम किसी कार्य को बार-बार करने तथा उसके नामों के अवलोकन तथा कार्य व्यवहार के विश्लेषण के आधार पर विकसित किए जाते हैं l
लोचशील :- प्रबंध के सिद्धांत लोग शील होते हैं जिन्हें परिस्थितियों के अनुरूप संशोधित करके प्रयोग किया जा सकता है, क्योंकि वेबसाइट नीतियां जटिल एवं गत्यात्मक होती है| अतः यह आवश्यक नहीं है कि यह सिद्धांत सभी प्रकार के संगठनों के लिए एक जैसा परिणाम दे l इन सिद्धांतों को व्यवसाय के आकार संरचना एवं स्थिति की जटिल जटिलता के अनुसार संशोधित किया जा सकता है अतः लोचशील होती हैं |
कारण एवं परिणाम का संबंध :- प्रबंध के सिद्धांत कारण एवं प्रभाव में संबंध स्थापित करते हैं, यह किन्ही कार्यों के लिए लिए जाने वाले निर्णय का सामान्य परिणामों पर पड़ने वाले प्रभावों को बताते हैं l
प्रबंध के सिद्धांतों का महत्व
प्रबंधकों को वास्तविकता का उपयोगी सूक्ष्मजीव प्रदान करना
प्रबंधकों को वास्तविकता का उपयोगी सूक्ष्मजीव प्रदान करना
- प्रबंध के सिद्धांत विवेकपूर्ण तरीके से प्रबंधकीय निर्णय लेने एवं उनका क्रियान्वयन करने में मार्गदर्शन करते हैं, प्रबंधकों को अंतर्दृष्टि प्रदान कर समस्याओं को समझने में सहायता करते हैं तथा प्रबंध के कार्य क्षमता को बढ़ाते हैं l
संसाधनों का अनुकूलतम उपयोग संसाधनों का अनुकूलतम उपयोग
- प्रबंध के सिद्धांत मानव एवं मानवीय एवं भौतिक संसाधनों में समन्वय प्रदान करते हुए इनका अनुकूलतम उपयोग संभव बनाते हैं l
वैज्ञानिक निर्णय
- प्रबंध के सिद्धांतों के आधार पर निर्णय वास्तविक संतुलित एवं समुचित होते हैं l प्रबंधकीय सिद्धांतों का उद्देश्य प्रबंध को कैसे शक्ति प्रदान करना है जिसके द्वारा वह अपने द्वारा लिए जाने वाले निर्णय द्वारा लिए जाने वाले निर्णय तथा उनके परिणामों के संबंध में सजग रहें ना कि केवल अनुमान के आधार पर निर्णय लें l
परिवर्तनशील वातावरण की आवश्यकताओं को संतुष्ट करना
- प्रबंध के सिद्धांत प्रभावपूर्ण नेतृत्व द्वारा तकनीकी परिवर्तनों को अपनाने में सहायक होते हैं जिससे कि प्रबंधक संगठन me व्यवसायिक वातावरण में परिवर्तन के साथ परिवर्तन kar संगठन के उद्देश्य को प्राप्त कर सकें l
सामाजिक उत्तरदायित्व को पूरा करना
- प्रबंध के सिद्धांत व्यावसायिक उद्देश्य के साथ-साथ सामाजिक उत्तरदायित्व को पूरा करने में मार्गदर्शन प्रदान करते हैं उदाहरण के लिए समानता एवं कर्मचारियों के पारिश्रमिक का सिद्धांत कर्मचारियों में समान भावना तथा उनके सामाजिक विकास को प्रोत्साहन प्रदान करता है l
प्रबंधकीय प्रशिक्षण शिक्षा शोध
- प्रबंध के सिद्धांत प्रबंध के अध्ययन में अनुसंधान और विकास करने के लिए आधार के रूप में कार्य करते हैं l
फेयोल के प्रबंध के सिद्धांत / प्रबंध के आधारभूत सिद्धांत फंडामेंटल प्रिंसिपल ऑफ मैनेजमेंट
फेयोल का परिचय
फेयोल (1841-1925 )ने खान इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त कर एक कोयला खान कंपनी में इंजीनियर के रूप में कार्य प्रारंभ किया l
फेयोल का परिचय
फेयोल (1841-1925 )ने खान इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त कर एक कोयला खान कंपनी में इंजीनियर के रूप में कार्य प्रारंभ किया l
1828 ई में वे मुख्य कार्यपालक के पद पर पहुंच गए उस समय कंपनी दिवालियापन की स्थिति में थी उन्होंने चुनौती को स्वीकार की और प्रबंधकीय तकनीकों को लागू कर शक्तिशाली वित्तीय पृष्ठभूमि प्रदान की l प्रबंध के सिद्धांतों एवं प्रबंध में उनके योगदान के कारण उन्हें प्रबंध का जनक माना जाता है l
फेयोल के सिद्धांत
कार्य विभाजन
कार्य विभाजन
- फेयोल के सिद्धांत के अनुसार संपूर्ण कार्य को छोटे-छोटे भागों में बांट कर व्यक्तियों को उनकी योग्यता, क्षमता एवं अनुभव के आधार पर दिया जाना चाहिए l बार-बार एक ही कार्य को करने से कर्मचारि उस कार्य में विशिष्टता प्राप्त कर लेता है परिणाम स्वरुप उसकी कार्य क्षमता एवं कुशलता बढ़ती है l
अधिकार एवं उत्तरदायित्व
- अधिकार एवं उत्तरदायित्व से संबंधित होते हैं अधिकार का अर्थ निर्णय लेने की शक्ति है तथा उत्तरदायित्व का आशय कार्य के संबंध में दायित्व अथवा जवाबदेही से है|
अधिकार एवं उत्तरदायित्व के बीच संतुलन का सामंजस्य होना चाहिए उत्तरदायित्व के बिना अधिकार नकारात्मक परिणाम ला सकता है तथा अधिकार के बिना उत्तरदायित्व से श्रमिक कार्य नहीं कर सकता l
अनुशासन
- अधीनस्थों द्वारा संगठन के साधारण नियमों का पालन करने को अनुशासन कहते हैं अनुशासन के लिए सभी स्तर पर अच्छे पर्यवेक्षकों उचित एवं स्पष्ट नियमों एवं दंड के उचित उपयोग की आवश्यकता होती है
आदेश की एकता
- फेयोल के सिद्धांत के अनुसार अधीनस्थ को केवल एक वरिष्ठ से आदेश प्राप्त होने चाहिए तथा उसी के प्रति उसे उत्तरदायित्व अथवा जवाब दे होना चाहिए इससे उत्तरदायित्व निर्धारण में भी सहायता मिलती हैl
- अलग-अलग वरिष्ठ से मआदेश मिलने से भ्रम उत्पन्न होता है , और अधीनस्थ परेशांन व् हताश हो सकता है जिसके कारन कार्य में देरी अथवा त्रुटि उत्पन्न होती है |
निर्देश की एकता
आदेश की एकता और निर्देश की एकता में अंतर
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- यह सिद्धांत कार्य की एकता तथा समन्वय को सुनिश्चित करता है इसके अनुसार सलमान गतिविधियों को एक ही समूह में रखना चाहिए तथा उनके कार्य की एक ही योजना होनी चाहिए
आदेश की एकता और निर्देश की एकता में अंतर
अंतर का आधार
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आदेश की एकता
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निर्देश की एकता
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अर्थ
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किसी भी अधीनस्थ को एक समय में एक ही अधिकारी से आदेश प्राप्त होना चाहिए तथा उसी के प्रति उत्तरदाई होना चाहिए|
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एक उद्देश्य वाली क्रियाओं के लिए एक अध्यक्ष एवं एक आदेश अधिकार होना चाहिए|
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लक्ष्य
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दोहरी अधीनस्थता
को रोकना
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क्रियाओं के अनदेखा होने को रोकना |
प्रभाव
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कर्मचारी को व्यक्तिगत रूप से प्रभावित करता हैl
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निर्देश की एकता पूरे संगठन को प्रभावित करती है तथा पूरे संगठन की क्रियाओं को एक लक्ष्य की और
समन्वित करती है l
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सामूहिक हित से व्यक्तिगत हित का महत्त्व कम होना
व्यावसायिक उद्द्यम व्यक्तिगत कर्मचारियों से अधिक महत्वपूर्ण होता है इसलिए वेबसाइट संगठन के हित को व्यक्तियों के निजी हितों से ऊपर माना जाना चाहिए l
व्यावसायिक उद्द्यम व्यक्तिगत कर्मचारियों से अधिक महत्वपूर्ण होता है इसलिए वेबसाइट संगठन के हित को व्यक्तियों के निजी हितों से ऊपर माना जाना चाहिए l
कर्मचारियों का पारिश्रमिक
इस सिद्धांत के अनुसार कर्मचारियों को उचित वेतन दिया जाना चाहिए जो उन्हें कम से कम एक उपयुक्त रहन-सहन का स्तर उपलब्ध करा सके तथा कर्मचारी संगठन से संतुष्ट हो सके l एक संगठन संतुष्ट कर्मचारियों के साथ अधिक समन्वय स्थापित कर सकता है तथा इच्छित उद्देश्यों की प्राप्ति कर सकती है l
केंद्रीयकरण एवं विकेंद्रीकरण
केंद्रीयकरण के अंतर्गत सभी महत्वपूर्ण निर्णय उच्च प्रबंधकों द्वारा किए जाते हैं जबकि विकेंद्रीकरण के अंतर्गत निर्णय लेने का अधिकार निम्न स्तर तक फैला होता है l इनके बीच उचित संतुलन होना चाहिए क्योंकि कोई भी संगठन पूर्णतया केंद्रीकृत या विकेंद्रीकृत नहीं होना चाहिए l
केंद्रीयकरण के अंतर्गत सभी महत्वपूर्ण निर्णय उच्च प्रबंधकों द्वारा किए जाते हैं जबकि विकेंद्रीकरण के अंतर्गत निर्णय लेने का अधिकार निम्न स्तर तक फैला होता है l इनके बीच उचित संतुलन होना चाहिए क्योंकि कोई भी संगठन पूर्णतया केंद्रीकृत या विकेंद्रीकृत नहीं होना चाहिए l
सोपान श्रंखला
यह प्राधिकारी की रेखा है जो आदेश की संख्या तथा संदेश वाहन की श्रंखला के रूप में कार्य करती है l
कुछ इस तरह से दिए गए निर्देश तथा आदेश मध्य स्तर के माध्यम से निम्न स्तर तक पहुंचते हैं l इस श्रंखला का उपयोग करने से संगठन में आदेश की एकता आती है तथा दौरा देशों के भ्रम से छुटकारा मिलता है इस श्रंखला का उल्लंघन नहीं करना चाहिए परंतु आवश्यकता पड़ने पर एक स्तर पर कार्यरत कर्मचारी संघ तिलपट्टी के द्वारा संपर्क कर सकते हैं l
यह प्राधिकारी की रेखा है जो आदेश की संख्या तथा संदेश वाहन की श्रंखला के रूप में कार्य करती है l
कुछ इस तरह से दिए गए निर्देश तथा आदेश मध्य स्तर के माध्यम से निम्न स्तर तक पहुंचते हैं l इस श्रंखला का उपयोग करने से संगठन में आदेश की एकता आती है तथा दौरा देशों के भ्रम से छुटकारा मिलता है इस श्रंखला का उल्लंघन नहीं करना चाहिए परंतु आवश्यकता पड़ने पर एक स्तर पर कार्यरत कर्मचारी संघ तिलपट्टी के द्वारा संपर्क कर सकते हैं l
उचित व्यवस्था
यह सिद्धांत बताता है कि संगठन में कार्य करने के लिए उचित व्यवस्था प्रदान की जानी चाहिए इसके अंतर्गत सही व्यक्ति को सही कार्य पर लगाना चाहिए तथा सही वस्तु को सही स्थान पर रखा जाना चाहिए जिससे जैसे श्रम तथा संसाधन की सती यह बच्चा होता है और उद्देश्य की प्राप्ति मैं सहायता मिलती है l
यह सिद्धांत बताता है कि संगठन में कार्य करने के लिए उचित व्यवस्था प्रदान की जानी चाहिए इसके अंतर्गत सही व्यक्ति को सही कार्य पर लगाना चाहिए तथा सही वस्तु को सही स्थान पर रखा जाना चाहिए जिससे जैसे श्रम तथा संसाधन की सती यह बच्चा होता है और उद्देश्य की प्राप्ति मैं सहायता मिलती है l
समता
कर्मचारियों के साथ न्याय उदारता मैत्रीपूर्ण एवं समानता का व्यवहार करना चाहिए जिससे इनका अधिकतम योगदान प्राप्त हो सके l प्रबंधकों को कर्मचारियों के साथ जाति धर्म या लिंग के आधार पर भेद नहीं करना चाहिए l ऐसा करने से कर्मचारियों का मनोबल टूटता है और वह अपने आप को सुरक्षित महसूस नहीं करते जिसके कारण वह अपनी अधिकतम कुशलता से कार्य का निष्पादन नहीं कर पाते l
कर्मचारियों के कार्यकाल में स्थायित्व
इस सिद्धांत के अनुसार कर्मचारियों के कार्यकाल में स्थायित्व होना चाहिए उन्हें बार-बार पद से हटाया या विस्थापन नहीं किया जाना चाहिए तथा उन्हें कार्य की सुरक्षा का विश्वास दिलाया जाना चाहिए ताकि उनका अधिकतम योगदान प्राप्त हो सके और वह संगठन के प्रति अधिक निष्ठावान हो l
इस सिद्धांत के अनुसार कर्मचारियों के कार्यकाल में स्थायित्व होना चाहिए उन्हें बार-बार पद से हटाया या विस्थापन नहीं किया जाना चाहिए तथा उन्हें कार्य की सुरक्षा का विश्वास दिलाया जाना चाहिए ताकि उनका अधिकतम योगदान प्राप्त हो सके और वह संगठन के प्रति अधिक निष्ठावान हो l
पहल
आशय कोई कार्य किए जाने की आज्ञा लेने से पूर्व कुछ करने से लगाया जाता है कर्मचारियों को सभी स्तर पर संबंधित कार्य के बारे में पहल करने की अनुमति होनी चाहिए l इससे भी प्रेरित एवं संतुष्ट होते हैं l
आशय कोई कार्य किए जाने की आज्ञा लेने से पूर्व कुछ करने से लगाया जाता है कर्मचारियों को सभी स्तर पर संबंधित कार्य के बारे में पहल करने की अनुमति होनी चाहिए l इससे भी प्रेरित एवं संतुष्ट होते हैं l
सहयोग की भावना
- इसका आशय सामूहिक प्रयासों में तालमेल तथा परस्पर समझदारी से है इसे कर्मचारियों में स्वीकृत सुदृढ़ता आती है इसे उचित संदेश वाहन एवं समन्वय से प्राप्त किया जा सकता है l
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I don't have tantion thanks
ReplyDeleteThanku sir I like it this page
ReplyDeleteBhut achhaa
ReplyDeleteI LIKE IT MY GOD SO FANTASTIC
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