केंद्रीय बैंक
केंद्रीय बैंक एक ऐसी संस्था है जो किसी देश के समस्त समस्त वित्तीय एवं मौद्रिक प्रणाली को नियंत्रित निगमित और संचालित करता है| भारत का केंद्रीय बैंक RBI ( रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ) है RBI की स्थापना 1934 में हुई थी जो भारतीय रिजर्व रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया एक्ट के अंतर्गत 1 अप्रैल 1935 में क्रियान्वित हुआ|
केंद्रीय बैंक के कार्य
मुद्रा प्राधिकारी
मुद्रा प्राधिकारी
सरकार का बैंकर बैंकों का बैंक और पर्यवेक्षक मुद्रा आपूर्ति और साख नियंत्रण विदेशी मुद्रा का कोष संरक्षक
मुद्रा प्राधिकारी केंद्रीय बैंक को देश में मुद्रा को जारी करने का एकमात्र अधिकार होता है भारत में आरबीआई के पास कागजी करेंसी (₹1 का नोट और सिक्के छोड़कर) जारी करने का एकमात्र अधिकार है |
RBI के पास नोट जारी करने का एकमात्र अधिकार होने के लाभ:-
- नोटों के प्रचलन में एकरूपता आती है यह केंद्रीय बैंक को मुद्रा पूर्ति को प्रभावित करने की शक्ति देता हैI क्योंकि जनता के पास करेंसी मुद्रा आपूर्ति का एक भाग होता हैI
- यह सरकार को नोट जारी करने के संदर्भ में केंद्रीय बैंक पर निगरानी तथा नियंत्रण रखने को सरल बनाता है
- यह मौद्रिक प्रणाली में जनता के विश्वास को बनाए रखता हैI
- यह मुद्रा के आंतरिक और बाहरी मूल्य मैं स्थिरता बनाए रखने में सहायक होता हैI
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया केंद्रीय सरकार तथा राज्य सरकारों
(जम्मू कश्मीर को छोड़कर) बैंक का एजेंट और वित्तीय सलाहकार के रूप में कार्य करता है
>>> सरकार के बैंकर के रूप में आरबीआई निम्नलिखित कार्य करती है:-
- i) सरकार के कोष को रखने के लिए चालू खातों को बनाना
- ii) सरकार के लिए प्राप्तियां स्वीकार करना भुगतान करना अन्य प्रेषणao और अन्य बैंकों के कार्य करना
- iii) केंद्र तथा राज्य सरकार अपनी आवश्यकताओं के लिए ट्रेजरी बिल बेचकर केंद्रीय बैंक से अल्पावधि ऋण लेती हैं इसके अतिरिक्त केंद्रीय बैंक एजेंट के रूप में तथा सलाहकार के रूप में सरकार को आर्थिक तथा वित्तीय मामलों पर सलाह देती है
बैंकों का बैंक और पर्यवेक्षक
जिस प्रकार आम जनता के लिए व्यापारिक बैंक विभिन्न वित्तीय सेवाएं प्रदान करते हैं उसी प्रकार केंद्रीय बैंक व्यापारिक बैंकों के लिए सुविधाएं एवं निर्देश जारी करता है बैंकों के बैंक के रूप में केंद्रीय बैंक के तीन कार्य निम्नलिखित हैं
- नगद कोष संरक्षक
- अंतिम ऋण दाता
- समाशोधन गृह कार्य
नगद कोष का संरक्षक
अंतिम ऋण दाता
व्यापारिक बैंक को अपनी कोई जवाब का एक निश्चित अनुपात केंद्रीय बैंक के पास जमा करना पड़ता है इस तरह केंद्रीय बैंक वाणिज्यिक बैंक से नकद कोष के संरक्षक के रूप में कार्य करता है I
जिस तरह आम जनता अपने आवष्यकताओं के लिए व्यापारिक बैंकों से ऋण लेती है उसी प्रकार किसी अन्य स्रोत से अपनी वित्तीय आवष्यकताओं की पूर्ति करने में असमर्थ होने पर व्यापारिक बैंक केंद्रीय बैंक से ऋण प्राप्त करती है इस प्रकार केंद्रीय बैंक अंतिम विधाता के रूप में कार्य करती हैं I
समाशोधन गृह
किसी व्यापारिक बैंक के किसी व्यापारिक बैंक के दिवालिया होने की स्थिति में वह स्थिति जब बैंकों के दायित्व उनकी संपत्ति से अधिक होती है केंद्रीय बैंक अपने पास रखे गए नगद कोष से उनके दायित्वों का भुगतान तथा अन्य विभिन्न प्रकार के निपटारे को करता है यह कार्य समाशोधन कार्य कहलाती है I
पर्यवेक्षक
केंद्रीय बैंक व्यापारिक बैंक का नियंत्रण ध्वनि को मन करता है बैंकों का निगमन उनके लाइसेंसी विस्तार परिसंपत्ति की तरलता विलियन इत्यादि से संबंधित होता है केंद्रीय बैंक बैंकों के द्वारा भरी गई ब्रिटेन तथा अन्य दस्तावेजों के आधार पर नियंत्रण रखता है I
मुद्रा पूर्ति और साख नियंत्रण
केंद्रीय बैंक अर्थव्यवस्था के आर्थिक हितों का ध्यान में रखकर मुद्रा पूर्ति तथा साख नियंत्रण करती है क्योंकि करेंसी जारी करने का एकमात्र अधिकार आरबीआई के पास है I
यह विभिन्न उपकरणों के माध्यम से मुद्रा आपूर्ति को नियंत्रण करता है I
RBI के साख नियंत्रण के उपकरण :-
परिमाणात्मक उपकरण
रेपो दर
खुले बाजार की क्रियाएं
वैधानिक कोष आवश्यकताएं सीमांत आवश्यकता
परिमाणात्मक उपकरण
रेपो दर
खुले बाजार की क्रियाएं
वैधानिक कोष आवश्यकताएं सीमांत आवश्यकता
गुणात्मक उपकरण
नैतिक अपील
चयनात्मक साख नियंत्रण
रेपो दर:-
- रेपो दर वह दर है जिस पर केंद्रीय बैंक व्यापारिक बैंकों को ऋण प्रदान करता है यह ऋण केंद्रीय बैंक द्वारा व्यापारिक बैंकों को प्रतिभूति और विनिमय बिलों के आधार पर दिए जाते हैं I
- अर्थव्यवस्था में मुद्रा की अतिरिक्त पूर्ति को कम करने के लिए रेपो दर में वृद्धि की जाती है बढ़ी हुई रेपो दर व्यापारिक बैंकों को ब्याज की दर बढ़ाने के लिए मजबूर करती है अंततः बढ़ती हुई ब्याज दर के कारण जनता ऋण नहीं लेती परिणाम सिर्फ अर्थव्यवस्था में मुद्रा पूर्ति पर रोक लगती है
- दूसरी तरफ यदि केंद्रीय बैंक अर्थव्यवस्था में मुद्रा पूर्ति को बढ़ाना चाहती है तब वह रेपो दर में कमी करती है
रिवर्स रेपो दर:-
रिवर्स रेपो दर वह दर है जिस पर केंद्रीय बैंक व्यापारिक बैंकों से ऋण लेता है मुद्रा पूर्ति को कम करने के लिए RBI रिवर्स रेपो रेट मैं वृद्धि करती है जिसके कारण व्यापारिक बैंक बढ़ी हुई दर पर अपनी कोशिशों को RBI को ऋण के रूप में दे देती है क्रिया व्यापारिक बैंकों को जनता को ऋण देने में हतोत्साहित करती है
खुले बाजार की क्रियाएं:-
- खुले बाजार की क्रिया से अभिप्राय केंद्रीय बैंक द्वारा जनता और व्यापारिक बैंकों को सरकारी प्रतिभूतियां बेचने व खरीदने से है
- केंद्रीय बैंक द्वारा प्रतिभूतियों की बिक्री व्यापारिक बैंकों केकोष को कम कर देती है यह बैंकों के साख निर्माण की क्षमता पर विपरीत प्रभाव डालती है अतः अर्थव्यवस्था में मुद्रा पूर्ति को कम करती है |
केंद्रीय बैंक द्वारा प्रतिभूतियों का क्रय व्यापारिक बैंक एवं जनता के पास उपलब्ध कोष में वृद्धि करती है तथा व्यापारिक बैंकों की साख निर्माण की क्षमता बढ़ाती है अतः अर्थव्यवस्था में मुद्रा पूर्ति में वृद्धि होती है
खुले बाजार की क्रियाओं के सफल होने के लिए आवश्यक शर्तें:-
- एक अच्छी तरह से विकसित और व्यवस्थित बाजार का होना आवश्यक है
- व्यापारिक बैंकों के कोष प्रतिभूतियों का क्रय विक्रय से प्रभावित होने चाहिए
- केंद्रीय बैंक के पास अर्थव्यवस्था में मुद्रा की पूर्ति को प्रभावित करने के लिए पर्याप्त प्रतिभूतियां होनी चाहिए
- सरकारी प्रतिभूतियों के मूल्य में शीघ्र परिवर्तन नहीं होना चाहिए
वैधानिक कोष आवश्यकताएं (LRR)
वैधानिक कोष आवश्यकताएं RBI के द्वारा निश्चित की गई कोशिश होती हैं जिनको वाणिज्यिक बैंक सुरक्षित रखने के लिए बाध्य होती हैं
यह कोष व्यापारिक बैंकों की साख निर्माण की क्षमता को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करते हैं वैधानिक कोष आवश्यकताएं दो प्रकार की होती हैं
(1)नगद कोष अनुपात (2) वैधानिक तरलता अनुपात
नगद कोष अनुपात
नगद कोष अनुपात वह कौन है जो व्यापारिक बैंकों द्वारा केंद्रीय बैंक के पास रखी जाती है सीआरआर व्यापारिक बैंकों द्वारा केंद्रीय बैंक के पास रखे जाने वाले शुद्ध मांग और शाब्दिक दे यताओं का एक न्यूनतम प्रतिशत होता है
नगद कोष अनुपात वह कौन है जो व्यापारिक बैंकों द्वारा केंद्रीय बैंक के पास रखी जाती है सीआरआर व्यापारिक बैंकों द्वारा केंद्रीय बैंक के पास रखे जाने वाले शुद्ध मांग और शाब्दिक दे यताओं का एक न्यूनतम प्रतिशत होता है
वैधानिक तरलता अनुपात
वैधानिक तरलता अनुपात वैधानिक तरलता अनुपात से अभिप्राय शुद्ध मांग जमाओं एवं सावधिक देताओं के उस न्यूनतम प्रतिशत से है जो व्यापारिक बैंकों को अपने पास रखना होता है, वैधानिक तरलता अनुपात को परिसंपत्तियों जैसे अतिरिक्त कोष ,गैर ऋण प्रतिभूतियां, अन्य अनुमोदित प्रतिभूतियों या दूसरे बैंकों के पास चालू खातों के रुप में रखा जाता है
वैधानिक तरलता अनुपात वैधानिक तरलता अनुपात से अभिप्राय शुद्ध मांग जमाओं एवं सावधिक देताओं के उस न्यूनतम प्रतिशत से है जो व्यापारिक बैंकों को अपने पास रखना होता है, वैधानिक तरलता अनुपात को परिसंपत्तियों जैसे अतिरिक्त कोष ,गैर ऋण प्रतिभूतियां, अन्य अनुमोदित प्रतिभूतियों या दूसरे बैंकों के पास चालू खातों के रुप में रखा जाता है
सीमांत आवश्यकता
सीमांत आवश्यकता आरबीआई द्वारा निर्धारित की गई हुए प्रतिशत दर हैं जिसके आधार पर आरबीआई ऋणी की प्रतिभूतियों मूल्य के आधार पर ऋण लेने की क्षमता को सीमित करती है
सीमांत आवश्यकता आरबीआई द्वारा निर्धारित की गई हुए प्रतिशत दर हैं जिसके आधार पर आरबीआई ऋणी की प्रतिभूतियों मूल्य के आधार पर ऋण लेने की क्षमता को सीमित करती है
साख नियंत्रण के गुणात्मक उपकरण
1. नैतिक अपील 2. चयनात्मक साख नियंत्रण
नैतिक अपील
नैतिक अपील केंद्रीय बैंक की वेश्याएं हैं जिसके अंतर्गत केंद्रीय बैंक वार्ताओं पत्रों भाषणों तथा संकेतों द्वारा व्यापारिक बैंकों के साख पूर्ति को प्रभावित करती है I नैतिक अपील अन्य बैंकों पर डाले जाने वाले प्रभाव दबाव का संयोग है जिससे व्यापारिक बैंक केंद्रीय बैंक की नीति के अनुसार कार्य करें
नैतिक अपील केंद्रीय बैंक की वेश्याएं हैं जिसके अंतर्गत केंद्रीय बैंक वार्ताओं पत्रों भाषणों तथा संकेतों द्वारा व्यापारिक बैंकों के साख पूर्ति को प्रभावित करती है I नैतिक अपील अन्य बैंकों पर डाले जाने वाले प्रभाव दबाव का संयोग है जिससे व्यापारिक बैंक केंद्रीय बैंक की नीति के अनुसार कार्य करें
चयनात्मक साख नियंत्रण
चयनात्मक साख नियंत्रण के अंतर्गत आरबीआई अन्य बैंकों को विशेष क्षेत्रों को निश्चित उद्देश्यों के लिए ऋण देने या ना देने के लिए निर्देश देता हैI इस उपकरण का उपयोग नकारात्मक अथवा सकारात्मक दोनों तरीकों से किया जा सकता है I
चयनात्मक साख नियंत्रण के अंतर्गत आरबीआई अन्य बैंकों को विशेष क्षेत्रों को निश्चित उद्देश्यों के लिए ऋण देने या ना देने के लिए निर्देश देता हैI इस उपकरण का उपयोग नकारात्मक अथवा सकारात्मक दोनों तरीकों से किया जा सकता है I
NOTE - चयनात्मक साख नियंत्रण द्वारा अर्थव्यवस्था में मुद्रा की दिशा निर्धारित की जाती है ना की मात्रा
मुद्रा की मात्रा को प्रभावित करने के लिए केंद्रीय बैंक रेपो दर खुले बाजार की क्रियाएं सीमित आवष्यकताओं जैसे उपकरणों का उपयोग करता है
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विदेशी मुद्रा कोष का संरक्षक
RBI देश के सोने के स्टॉक विदेशी मुद्रा आदि के कोष का संरक्षक के रूप में कार्य करता है यह कार्य RBI पर पर्याप्त नियंत्रण रखने में सहायता प्रदान करती है I और यह मुद्रा की बाहरी मूल्य को स्थिर रखने में सहायता करती है I
- केंद्रीय बैंक तथा व्यापारिक बैंक में अंतर
आधार
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केंद्रीय बैंक
|
व्यापारिक बैंक
|
अर्थ
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केंद्रीय बैंक एक शीर्ष संस्था है जो किसी देश के समस्त मौद्रिक प्रणाली को नियंत्रित निगमित और संचालित करता है
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व्यापारिक बैंक एक ऐसी संस्था है जो लाभ अर्जित करने के उद्देश्य से जमा स्वीकार करने ऋण देने और निवेश करने का कार्य करती है
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मुद्रा जारी करने का अधिकार
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केंद्रीय बैंक के पास मुद्रा
जारी करने का एकमात्र अधिकार होता है
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व्यापारिक बैंक के पास करेंसी जारी करने का अधिकार नहीं होता
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स्वामित्व
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केंद्रीय सरकार द्वारा अधिकृत व शासित होती है
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बैंक निजी क्षेत्र व्यापारिक द्वारा अधिकृत शासित होती है
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स्थिति
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केंद्रीय बैंक एक सर्वोच्च संस्था है जो संपूर्ण बैंकिंग प्रणाली को संचालित करती है
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व्यापारिक बैंक बैंकिंग प्रणाली की
मात्र एक इकाई है
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Thank u very much
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